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- 14-10-2019
- By Vishla Agro Tech Pvt. Ltd.
कैंसर लाइलाज नहीं
केंसर लाइलाज नहीं
वर्तमान में कैंसर नामक बीमारी बहुत ज्यादा फैल रही है और ये किसी भी उम्र, लिंग, जाति के व्यक्ति को हो रही है। इस का प्रसार इतनी तेजी से फैल रहा है कि आधुनिक विज्ञान की सारी अस्पताले इस रोग के रोगियों से भरी रहती है। ये क्यों होती है इस के बारे में शोधकर्ताओ की विभिन्न राय है।
आयुर्वेद के ग्रंथों में अर्बुद (गांठ) तथा कर्क रोग का उल्लेख मिलता है। जो ये दर्शाता है कि ये बीमारी युगों युगों से होती रही है। आधुनिक विज्ञान जो रोग या अनियमितता दिखती है उसका इलाज करता है। वो रोग क्यों उत्पन्न हुआ उसकी जड़ क्या है उसका इलाज नहीं करता है। ये मूल परिवर्तन प्राचीन आयुर्वेद पद्धति एवं नवीन मेडिकल पद्धति है।
वर्तमान में आधुनिक विज्ञान के डॉक्टर उस गांठ को चीर फाड़ के द्वारा निकालते हैं। कैंसर के जीवाणु पाये जाने पर कीमोथेरेपी, रेडियो थैरेपी जैसे इलाज के द्वारा कैंसर के मरीजों का इलाज करते हैं। कई रोगी इसे झेल नहीं पाते अतः इलाज नहीं ले सकते।
अमूमन रोगी के बाल उड़ना, उल्टी दस्त, खुजली होने जैसी व्याधियां हो जाती है। कुछ रोगी एक बार पूर्णतः स्वस्थ भी हो जाते हैं परंतु एक डेढ़ साल बाद ये रोग पुनः उसी जगह या शरीर के अन्य हिस्सों में कहीं भी उत्पन्न हो जाता है। कुल मिलाकर कैंसर का रोगी मतलब है मौत निश्चित होना।
कीमोथेरेपी रेडियो थेरपी से शरीर में बहुत बुरे दुष्प्रभाव लिवर, किडनी, हार्ट पर पड़ता है। कीमोथेरेपी से ये तीनों अंग कमजोर हो जाते हैं और रोगी को मरना पड़ता है। आधुनिक विज्ञान शाखाओं में बंटा हुआ है कैंसर, किडनी, हार्ट, लिवर के डॉ अलग अलग होते हैं अतः रोगी के शुरुआत के इलाज में इनका सामंजस्य नहीं होता।
विदेशों में सभी डॉ मिल कर रोगी का इलाज करते हैं। आयुर्वेद में जो आयुर्वेदचार्य होता है वो अकेले सारे अंगों को बचा कर इलाज करता है इसलिए सफलता हाथ लगती है।
आधुनिक विज्ञान में पथ्य अपथ्य का ज्यादा महत्व नहीं है। जब कि आयुर्वेद में अनुपान, पथ्य अपथ्य को ज्यादा महत्व दिया जाता है। कुछ आधुनिक डॉ आयुर्वेद में वर्णित पथ्य अपथ्य को स्वीकारते हैं और रोगी को इन चीजों से परहेज करवाते हैं।. कैंसर रोगियों को मुख्यतः in खाद्यान्न से दूर रहना चाहिए। दही, दूध, चीनी (मीठा), फलों का रस। रोगी को फल खिला सकते हैं पर फलों का रस नहीं देना चाहिए।
आयुर्वेद के मतानुसार कर्क रोग स्वजनित रोग है और आयुर्वेद में वर्णित और परीक्षित द्वारा ये लिखा गया है कि स्वजनित रोगों के होने का मुख्य तीन कारण है शरीर से विषैले पदार्थों का न निकलना, लिवर में सीक्रीसन होने वाले एंजाइम में असंतुलन होना।
प्रकृति ईश्वर की सबसे खूबसूरत रचना है और हर रोग के उपचार के लिए प्रकृति ने धरती पर भिन्न भिन्न प्रकार की जड़ी बूटी दी है। इनके उपयोग से किसी भी बीमारी का इलाज संभव है। प्रायः ऐसा माना जाता है कि जिस बीमारी का आयुर्वेद के प्राचीन ग्रंथों में उल्लेख है उसका उपचार भी मौजूद है।
हमारी कंपनी ने 2007 से अब तक सैकड़ों रोगियों को कैंसर से बचाया है। यदि आरंभ में ही रोगी आयुर्वेद पर विश्वास करें हमारी दवा लेवे तो निश्चित ही रोगी की जान बच जायेगी। कुछ लोग आधुनिक विज्ञान से इलाज कर निराश हो कर आते हैं उनको भी हम ने ठीक किया है और उनके जीवन की अवधि बढ़ाई है।
कीमोथेरेपी तथा रेडियो थैरेपी से मनुष्य का शरीर दवाई ग्रहण करने की क्षमता से क्षीण हो जाता है जिसे अंग्रेज़ी में मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट कहा जाता है। हमारी कंपनी ने पहले कई वर्षों तक शोध किया। फिर कैंसर की दवा का निर्माण किया। मामफल की पतियों का शोधन कर के, उस को डंठल मुक्त बना कर स्वर्ण के पानी से शोधन कर जब रोगियों पर ट्रायल किया तो गांठ, कैंसर की गांठ, मवाद, बिना जानकारी के वायरस, कीटाणु, सूक्ष्म हानिकारक जीवाणु पर जबरदस्त असर कारक परिणाम मिला।
कैंसर के रोगी या रिश्तेदार घबराए नहीं ये लाइलाज नहीं है। आयुर्वेद में इसका सफल उपचार संभव है। जो पाठक इस को पढ़ रहे हैं उन से गुजारिश है कि उनकी जानकारी में कोई रोगी हो या किसी को कहीं भी गाँठ है तो तुरंत हम से संपर्क करें।.
हमारा संपर्क सूत्र :-
डॉ राज कुमार कोचर
पुरानी जेल रोड गुजरो का मौहल्ला बीकानेर (राज) 334001
दूरभाष 9352950999